पापमोचनी एकादशी व्रत कथा प्रारम्भ (Page 1/4)

युधिष्ठिर ने पूछा- “भगवन ! चैत्र कृष्ण पक्ष के एकादशी का क्या नाम है, यह बताने की कृपा किजिये।”
भगवान श्री कृष्ण बोले- “राजेंद्र! सुनो- मैं इस विषय में एक पापनाशक उपाख्यान सुनाऊँगा, जिसे चक्रवर्ती नरेश मान्धाता के पूछने पर महर्षि लोमश ने कहा था।”
मान्धाता बोले- “ भगवन! मैं लोगों के हित की इच्छा से यह सुनना चाहता हूँ कि चैत्रमास के कृष्ण पक्ष में किस नाम की एकादशी होती है ? उसकी क्या विधि है तथा उससे किस फल की प्राप्ति होती है? कृपया ये सब बताइये ? ”
लोमश जी ने कहा- नृपश्रेष्ठ! पूर्वकाल की बात है, अप्सराओं से सेवित चैत्ररथ नामक वन में , जहाँ गंधर्वों की कन्याएँ अपने किङ्करों के साथ बाजे बजाती हुई विहार करती हुई, मंजुघोषा नामक अप्सरा मुनिवर मेधावी को मोहित करने के लिये गयी।