सफला एकादशी व्रत कथा (Page 3/5)

चम्पावती नाम से विख्यात एक पुरी है, जो कभी राजा माहिष्मत की राजधानी थी ।
राजर्षि माहिष्मत के पाँच पुत्र थे । उनमें जो ज्येष्ठ था, वह सदा पापकर्म में ही लगा रहता था । परस्त्रीगामी और वेश्यासक्त था । उसने पिता के धन को पापकर्म में ही खर्च किया । वह सदा दुराचार परायण तथा ब्राह्मणों का निंदक था। वैष्णवों और देवताओं की भी हमेशा निन्दा किया करता था ।
अपने पुत्र को ऐसा पापाचारी देखकर राजा माहिष्मत ने राजकुमारों में उसका नाम लुम्भक रख दिया। फिर पिता और भाईयों ने मिलकर उसे राज्य से बाहर निकाल दिया ।
लुम्भक उस नगर से निकलकर गहन वन में चला गया । वहीं रहकर उस पापी ने प्राय: समूचे नगर का धन लूट लिया । एक दिन जब वह रात में चोरी करने के लिए नगर में आया तो रात में पहरा देनेवाले सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया ।