सरस्वती पूजा – Saraswati Puja

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. इसे वसंत पंचमी (Vasant Panchami) भी कहते हैं. सरस्वती जी को विद्या की देवी कहा गया है और विद्या ही जीवन का आधार है. विद्या से ही जीवन मे सुख समृद्धि सम्भव है. अत: माँ सरस्वती की पूजा सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाली है। श्वेत वस्त्र , पवित्र विचार, हाथो मे वीणा धारण किये माँ सरस्वती बुद्धि, विद्या, धन, सम्पत्ति, सुख- सौभाग्य को देने वाली है.
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥

विद्या विनय देती है; विनय से पात्रता आती है, , पात्रता से धन मिलता है, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है।

पूजन सामग्री (Saraswati Puja Samagri)

√ सरस्वतीजी की मूर्ति अथवा चित्र
√पान का पत्ता - 3
√सुपारी – 5
√लौंग
√इलायची
√गुड़
√बूंदी (बेसन के)
√मिष्ठान
√ऋतु फल
√नारियल
√पीला वस्त्र – 2 ( सरस्वती माँ के लिये एवं एक गणेश जी के लिये),
√लाल वस्त्र - 2 ( नारियल लपेटने के लिये एवं एक चौकी पर बिछाने के लिये)
√मिट्टी का कलश -1
√आम के पत्ते
√धूप
√दीप
√घी
√कपूर
√दूर्बा
√गंगाजल
√पुष्प
√पुष्पमाला
√अक्षत
√सिंदूर
√रक्त चंदन
√जल-पात्र
√आसन
√चौकी अथवा लकड़ी का पटरा

पूजा विधि – Saraswati Puja Vidhi

प्रात:काल नित्य क्रम सी निवृत हो स्नान कर लें । पूजा स्थल को साफ कर शुद्ध कर लें। चौकी अथवा लकड़ी का पटरा रखें। उस पर सरस्वती जी की मूर्ति को स्थापित कर दें। आसन पर बैठ जायें।
पवित्रीकरण :-
प्रत्येक पूजा के पहले अपने आप को, उपस्थित जन को तथा पूजन सामग्री को शुद्ध कर लेना चाहिये।हाथ मे जल लेकर मंत्र को उच्चारित करें, उसके बाद जल को उपस्थित जनों, सामग्रियो एवं स्वयं पर छिड़क लें।
" ऊँ अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥"
आचमन:-
चम्मच से जल लेकर एक-एक बूंद मुँह मे छोड़े और प्रत्येक बूंद के साथ निम्न मंत्र का उच्चारण करें :-
ऊँ केशवाय नम:
ऊँ माधवाय नम:,
ऊँ नारायणाय नम:
उसकी बाद साफ जल से हाथ धो लें।

संकल्प:-

कोई भे पूजा संकल्प क बिना अधूरी मानी जाती है। अत: संकल्प के लिये हाथ मे जल, पान का पत्ता, सुपारी, अक्षत और कुछ सिक्के रखकर निम्न मंत्र के द्वारा संकल्प करें।
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। श्री मद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम्‌ उत्तमे माघमासे शुक्लपक्षे पंचमीतिथौ अमुकवासरान्वितायाम्‌ अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं सरस्वती पूजा करिष्ये ।
हाथ मे रखी सभी सामग्री सरस्वती जी पर अर्पित करें।