सोमवार व्रत उद्यापन विधि:-(Somvar Udyapan Vidhi)
हवन:-
हवन –कुण्ड में आम की समिधा सजायें। हवन कुण्ड की पंचोपचार विधि से पूजा करें। हवन सामग्री में घी, तिल, जौ तथा चावल मिलाकर ‘ऊँ त्र्यम्बकं नम:’ मंत्र के द्वारा १०८ आहुति दें।
आरती
एक थाली या आरती के पात्र में दीपक तथा कपूर प्रज्वलित कर पहले शिवजी की आरती करें; उसके बाद पार्वती जी की आरती करें-
शिवजी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा , प्रभु हर ॐ शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
|| ॐ जय शिव ओंकारा......||
एकानन चतुरानन पंचांनन राजै |
हंसासंन , गरुड़ासन ,वृषवाहन साजै॥
|| ॐ जय शिव ओंकारा......||
दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहें |
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥
|| ॐ जय शिव ओंकारा......||
अक्षमाला , वनमाला , मुण्डमालाधारी |
चंदन , मृगमद सोहें, भाले शशिधारी ॥
|| ॐ जय शिव ओंकारा......||
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें।
सनकादिक, ब्रह्मादिक ,भूतादिक संगें॥
|| ॐ जय शिव ओंकारा......||
कर मध्ये कमण्डलु , चक्र त्रिशूलधर्ता |
जगकर्ता, जगहर्ता, जगपालनकर्ता ॥
|| ॐ जय शिव ओंकारा......||
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका |
प्रवणाक्षर के मध्यें ये तीनों एका ॥
|| ॐ जय शिव ओंकारा......||
त्रिगुण शिव की आरती जो कोई नर गावें |
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें ॥
|| ॐ जय शिव ओंकारा......||
॥ इति श्री शिव आरती॥
पार्वती की आरती
जय पार्वती माता जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभफल की दाता ।
॥जय पार्वती माता..॥
अरिकुल पद्दं विनासनी जय सेवक त्राता,
जगजीवन जगदंबा हरिहर गुणगाता ।
॥जय पार्वती माता..॥
सिंह को वाहन साजे कुण्डल है साथा,
देब बंधु जस गावत नृत्य करा ता था ।
॥ जय पार्वती माता..॥
सतयुग रूपशील अति सुन्दर नाम सती कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन संग राता ।
॥ जय पार्वती माता..॥
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमाचल स्थाता,
सहस्त्र भुज तनु धारिके चक्र लियो हाथा ।
॥जय पार्वती माता..॥
सृष्टिरूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता,
नन्दी भृंगी बीन लही है हाथन मदमाता ।
॥जय पार्वती माता..॥
देवन अरज करत तव चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंग राता ।
॥जय पार्वती माता..॥
श्री कमल आरती मैया की जो कोई गाता ,
सदा सुखी नित रहता सुख सम्पति पाता ।
॥ जय पार्वती माता..॥
॥ इति श्री पार्वती आरती ॥
आरती का तीन बार प्रोक्षण करके सबसे पहले सभे देवे-देवताओं को आरती दें। उसके बाद उपस्थित व्यक्तियों को आरती दिखायें एवं स्वयं भी आरती ले।
पुष्पाञ्जलि :-
हाथ में पुष्प लेकर खड़े हो जायें और पुष्पाञ्जलि अर्पित करें:-
ऊँ नम: शिवाय पुष्पाञ्जलि समर्पयामि।
ऊँ महागौर्ये नम: पुष्पाञ्जलि समर्पयामि।
क्षमा-प्रार्थना:-
दोनों हाथ जोड़कर शिव-पार्वती से क्षमा प्रार्थना करें:-
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व महेश्वर: ॥
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व सुरेश्वरी: ॥
विसर्जन:-
विसर्जन के लिये हाथ में अक्षत , पुष्प लेकर मंत्र –उच्चारण के द्वारा विसर्जन करें-
स्वस्थानं गच्छ देवेश परिवारयुत: प्रभो ।
पूजाकाले पुनर्नाथ त्वग्राऽऽगन्तव्यमादरात्॥
इसके बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। यदि सम्भव हो तो ब्राह्मणों को भोजन करावे। उसके बाद बंधु-बाँधवों सहित स्वयं भोजन करें।
॥ इति सोमवार व्रत उद्यापन विधि ॥