गोष्पद व्रत

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्षकी तृतीया तिथि को गोष्पद व्रत किया जाता है। इस व्रत को भक्तिपूर्वक करने वाला व्रती सौभाग्य, लावण्य, धन, धान्य, यश, उत्तम संतान आदि सभी पदार्थों को प्राप्त करता है।

कथा तथा महात्म्य

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा - पार्थ! भाद्रपद मास के शुक्ल पक्षकी तृतीया तथा चतुर्थी तिथि को प्रतिवर्ष गोष्पद नामक व्रत करना चाहिये। स्त्री अथवा पुरुष प्रथम स्नान से निवृत्त होकर अक्षत और पुष्पमाला, धूप, चंदन, पिष्टक(पीठी) आदि से गौ की पूजा करे।

॥ इति गोष्पद व्रत॥