योगिनी एकादशी व्रत कथा (Page 4/4)

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- “ऋषि के ये वचन सुनकर हेममाली दण्ड की भाँति मुनि के चरणों में पड़ गया।
मुनि ने उसको उठाया, इससे उसको बड़ा हर्ष हुआ।
मार्कण्डेय जी के उपदेश से उसने योगिनी एकादशी का व्रत किया, जिससे उसके शरीर का कोढ़ दूर हो गया।
मुनि के कथनानुसार उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान करने पर वह पूर्ण सुखी हो गया।
नृपश्रेष्ठ ! यह योगिनी का व्रत ऐसा ही बताया गया है।
जो अट्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराता है, उसके समान ही फल उस मनुष्य को भी मिलता है , जो योगिनी एकादशी का व्रत करता है।
‘योगिनी’ महान पापों को शांत करनेवाली और महान पुण्य-फल देनेवाली है।
इसके पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।”