सोमवती अमावस्या उद्यापन विधि - Somvati Amavasya Udyapan Vidhi Page 7/8
प्रदक्षिणा:-
अपने स्थान पर खड़े होकर तीन बार घूमकर मंत्र उच्चारण के साथ प्रदक्षिणा करें:-
मया कायेन मनसा वाचा जन्मशतार्जितम्।
पापप्रशमय श्रीश प्रदक्षिणा पदे पदे ॥
प्रार्थना:-
दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें:-
व्यक्ताव्यक्त स्वरुपाय सृष्टिस्थित्य कारिणे।
आदिमध्यान्त रहित विष्टरश्रवसे नम:॥
पुष्पांजलि:-
अपने स्थान पर खड़े होकर मंत्र उच्चारण के साथ पुष्पांजलि समर्पित करें:-
आदिमध्यान्त रहित भक्तामिष्टदायक ।
पुष्पांजलिर्मया दत्ता गृहाण सुरपूजित ॥
इस प्रकार अश्वत्थ वृक्ष में विष्णु भगवान का पूजन करें ।
अश्वत्थ वृक्ष पूजन:-
इसके बाद अश्वत्थ वृक्ष का पूजन गंध,धूप,दीप,पुष्प एवं नैवैद्य से करें ।
दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें:-
“आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं शरणं गत:।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
अश्वत्थ ह्युतझुग्वास गोविन्दस्य सदाप्रिय।
अशेषं हर मे पापं वृक्षराज नमोस्तुते।”
परिक्रमा:
इसके बाद अश्वत्थ वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें । परिक्रमा के साथ निम्न मंत्र का जाप करे:-
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे।
अग्रता: शिवरुपाय वृक्षराजाय ते नम: ॥
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
पूजन के बाद रात्रि जागरण करें। रात्रि जागरण में विष्णु भगवान के स्तोत्रों एवं चरित्रों का पाठ करें। प्रात: काल स्नानादि से निवृत हो स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
हवन:-
तत्पश्चात् खीर एवं हवन सामग्री से “इदं विष्णु: स्वाहा” मंत्र से 108 बार हवन करें ।